Highlights

Panchayati Raj in Madhya Pradesh

About 75 percent of India's population lives in villages.
Community development program was started in India in 1952.

Panchayati Raj in Madhya Pradesh

The purpose of establishing Panchayati Raj in India - decentralization of power.
The committee that gives the first suggestion to implement Panchayatraj system in India - the Balbanaray Mehta Committee.
In 1957, the Balwant Roy Mehta study team recommended the establishment of Panchayati Raj for decentralization of power. The scheme was first started on October 2, 1959 in Nagaur, Rajasthan.
Newly formed The first act created for the Panchayati Raj system in Q. - '' Q. Panchayati Raj Act, 1962 ''
M Panchayati Raj Act first came into force in 1990 - in 1990
M Q. "In the Assembly" Q. passed the Panchayati Raj Act - on December 30, 1993 (by 73rd Amendment Constitution)
M The latest Panchayati Raj Act in the formation - in 1994 (M.P. Panchayati Raj Act 1994)
M Q. State Election Commission was constituted - on January 19, 1994
M Panchayati Raj Act was established in UP - on 25 January 1994
M First notification of Panchayat elections was issued by the State Election Commission in the State- April 15, 1994.
M A. State Finance Commission was constituted- in July 1994 (Article 73 of the Constitution Amendment Bill, as per Article 243 '' j '')
Commission to be constituted for reviewing the financial status of Panchayats every 5 years - State Finance Commission
New Panchayati Raj System was enforced with broad powers - from 2 October 1994
M In total, the total district panchayat - 48, district panchayats - 313 and village panchayats - 22931.
M Reservation of seats in Panchayats in the State - 50 percent for Scheduled Classes,
25 percent reserved seats for the Other Backward Classes
M Special Reservation for Women in Panchayats in Prakashan - At least one-third of the seats in each reserved and general category
Level of Panchayati Raj system - 3 (three-tier)
1. Gram Panchayat (at village level)
2. District Panchayat or Panchayat Samiti (Block / Development level)
3. District Panchayat or District Council (at district level)
Those posts of panchayats for which direct / direct elections are held - punch, sarpanch, district member and district panchayat member
Those posts of panchayats for which direct / direct elections are held - from the elected members of the Deputy Sarpanch of Gram Panchayat and the President of the District and District Panchayat, from the elected members.
Number of members in Gram Panchayat for every Gram Sabha - As per population, at least 10 and more than 20 members
The number of members in the district panchayat - at least 10 and upto 25 members if the population is high.
Number of members in district panchayat - at least 10 and according to the population 35 members.
Members of the Lok Sabha and Rajya Sabha will be members of the district panchayats and district panchayats.
Tenure of each Panchayat - 5 years.
In the event of panchayat dissolution, the formation of a new Panchayat is necessary for the remaining tenure.
Gram panchayat work and responsibility - 1. All-round development of your area.
2. Monitoring the implementation of all schemes of rural employment.
3. Develop from agricultural and horticultural schemes.
Work and responsibility of the District Panchayats - 1. All-round development of its area.
2. To develop and implement coordinated schemes through Gram Panchayats for area development.
3. Monitoring the implementation of integrated rural development scheme, tricem and rural employment schemes.
Functions and Responsibilities of District Panchayats - 1. Working as a unit of governance at the district level. 2. To develop and implement integrated schemes through district panchayats for the overall development and productivity of the district.
3. Implementation of various effective development schemes.
Mph Education Panchayats were organized in different districts of 15 to 30 July 1998 (to promote girl child education)
Reservations for the post of District Panchayats in Madhya Pradesh have been implemented - from 4 November 2004
(Scheduled Caste - 7, Scheduled Tribe - 12 and Other Backward Classes - 12 posts reserved)
M Prizes of previous Gram Panchayats elections were held in January 2005.
(Under this, elections were held for 22789 Gram Panchayats, 313 district panchayats and 48 district panchayats.)
M In the President, the Vice-Chairman of the District and Janpad Panchayat and the Sarpanches-Panchs of the Gram Panchayats intensive training of subjects relating to their tenure. Q. Administrative Academy Bhopal
M Incentives are given to the Panchayats in the good implementation of their programs.
District Panchayats get first prize - 25 lakh, second stage - 15 lakhs and third prize - Rs. 10 lakhs
M Prize for first district panchayat in prize - Rs. 5 lakhs.
M Prize for the first Gram Panchayat in prize - 25 thousand rupees.

Panchayati Raj in Madhya Pradesh

भारत की लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या गांवों मे निवास करती हे।

भारत मे 1952 मे सामुदायिक विकास कार्यक्रम आरंभ किया गया।

मध्य प्रदेश मे पंचायती राज

भारत में पंचायती राज की स्थापना का उद्देश्य - सत्ता का विकेन्द्रीकरण करना।
भारत में पंचायतीराज व्यवस्था को लागू करने का सर्वप्रथम सुझाव देनेवाली समिति - बलबंतराय मेहता समिति।
1957 मे बलवंत राय मेहता अध्ययन दल ने सत्ता के विकेन्द्रीकरण हेतु पंचायती राज स्थापना की अनुसंशा की। 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर मे सर्वप्रथम यह योजना आरंभ हुई।
नवगठित म. प्र. मे पंचायती राज व्यवस्था हेतु बनाया गया पहला अधिनियम - ’’ म. प्र. पंचायती राज     अधिनियम 1962 ’’ 
म. प्र. में पंचायती राज अधिनियम पहली बार प्रवृत्त हुआ - 1990 में 
म. प्र. विधानसभा में ’’म. प्र. पंचायती राज अधिनियम’’ पारित हुआ - 30 दिसंबर 1993 को (73 वें संविधान संशोधन के द्वारा)
म. प्र. में नवीनतम पंचायती राज अधिनियम बना - 1994 में (म. प्र. पंचायती राज अधिनियम 1994)
म. प्र. राज्य निर्वाचन आयोग का गठन किया गया - 19 जनवरी 1994 को 
म. प्र. में पंचायती राज अधिनियम संस्थापित किया गया - 25 जनवरी 1994 को 
म. प्र. में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सर्वप्रथम पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हुई-15 अप्र्रैल 1994 को।
म. प्र. राज्य वित्त आयोग का गठन किया गया - जुलाई 1994 में (73 वें संविधान संशोधन विधेयक के   अनुच्छेद 243 ’’झ’’ के अनुसार)
प्रत्येक 5 वर्ष मे पंचायतो की आर्थिक स्थिति की समीक्षा के लिए गठित किया जानेवाला आयोग - राज्य वित्त आयोग 
नवीन पंचायती राज व्यवस्था को व्यापक अधिकारों सहित लागू किया गया - 2 अक्टूबर 1994 से 
म. प्र. में कुल जिला पंचायते - 48, जनपद पंचायतें - 313 तथा ग्राम पंचायतें - 22931 है।
म. प्र. में पंचायतों मे सीटों का आरक्षण - अनुसूचित वर्गो के लिए 50 प्रतिशत,
   अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित।
म. प्र. में पंचायतों मे महिलाओं के लिए विशेष आरक्षण - प्रत्येक आरक्षित एवं सामान्य वर्ग मे कम से कम एक तिहाई स्थान 
पंचायती राज व्यवस्था के स्तर - 3 (त्रिस्तरीय)
1. ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर पर) 
2. जनपद पंचायत या पंचायत समिति (ब्लाक/विकासखंड स्तर) 
3. जिला पंचायत या जिला परिषद (जिला स्तर पर)
पंचायतों के वे पद जिनके लिए प्रत्यक्ष/सीधे चुनाव होता है - पंच, सरपंच, जनपद सदस्य व जिला पंचायत सदस्य 
पंचायतों के वे पद जिनके लिए प्रत्यक्ष/सीधे चुनाव होता है - ग्राम पंचायत के उप सरपंच एवं जनपद व जिला पंचायत के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष हेतु निर्वाचित सदस्यों मे से उन्ही के द्वारा।
प्रत्येक ग्राम सभा के लिए ग्राम पंचायत मे सदस्यों की संख्या - आबादी के अनुसार कम से कम 10 और अधिक से अधिक 20 सदस्य। 
जनपद पंचायत में सदस्यों की संख्या -  कम से कम 10 तथा आबादी अधिक होने पर 25 सदस्य तक ।
जिला पंचायत में सदस्यों की संख्या -  कम से कम 10 तथा आबादी के अनुसार 35 सदस्य तक।
लोक सभा तथा राज्य सभा के सदस्य जनपद पंचायतों और जिला पंचायतों के सदस्य होंगें।
प्रत्येक पंचायत का कार्यकाल - 5 वर्ष का।
पंचायत विघटित होने की स्थिति मे शेष कार्यकाल के लिए नई पंचायत का गठन आवश्यक है।
ग्राम पंचायत कार्य व उत्तरदायित्व - 1. अपने क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करना। 
2. ग्रामीण रोजगार की सभी योजनाओं के क्रियांवयन पर निगरानी रखना।
3. कृषि व बागवानी की योजनाओं से विकास करना।
जनपद पंचायतों का कार्य व उत्तरदायित्व - 1. अपने क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करना। 
2. क्षेत्र के विकास के लिए ग्राम पंचायतों के माध्यम से समन्वित योजनाऐं बनाकर उनका क्रियान्वयन कराना।
3. एकीकृत ग्रामीण विकास योजना, ट्राइसेम तथा ग्रामीण रोजगार की योजनाओं के क्रियान्वयन पर निगरानी रखना।
जिला पंचायतों का कार्य व उत्तरदायित्व - 1. जिला स्तर पर शासन की इकाई के रूप मे कार्य करना। 2. जिले के सर्वांगीण विकास व उत्पादकता मे वृद्धि के लिए जनपद पंचायतो के माध्यम से समन्वित योजनाऐं बनाकर उनका क्रियान्वयन कराना।
3. विभिन्न प्रभावी विकास योजनाओं का क्रियान्वयन कराना।
म.प्र. के विभिन्न जिलों मे शिक्षा पंचायतों का आयोजन किया गया -15 से 30 जुलाई 1998 मे (बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए)
मध्य प्रदेश मे जिला पंचायतों के अध्यक्ष पद हेतु आरक्षण लागू किया गया - 4 नवंबर 2004 से 
( अनुसूचित जाति - 7, अनु.जनजाति - 12 तथा अन्य पिछड़ा वर्ग - 12 पद आरक्षित)
म. प्र. मे ग्राम पंचायतों के पिछले चुनाव सम्पन्न हुये - जनवरी 2005 में। 
(इसके अंतर्गत 22789 ग्राम पंचायतें, 313 जनपद पंचायतें व 48 जिला पंचायतों के चुनाव हुए।)
म. प्र. में जिला व जनपद पंचायत के अध्यक्षां-उपाध्यक्षों व ग्राम पंचायतों के सरपंचों-पंचों को उनके कार्यकाल से संबंधित विषयों का गहन प्रशिक्षण - म. प्र. प्रशासनिक अकादमी भोपाल द्वारा।
म. प्र. मे पंचायतों को अपने कार्यक्रमों के अच्छे क्रियान्वयन हेतु प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किये जाते है।
जिला पंचायतों को प्रथम पुरस्कार-25 लाख, द्वितीय पुंरस्कार-15 लाख व तृतीय पुरस्कार-10 लाख रु.
म. प्र. में प्रथम जनपद पंचायत को पुरस्कार - 5 लाख रू.।

म. प्र. में प्रथम ग्राम पंचायत को पुरस्कार - 25 हजार रु.।

No comments